Class 8 Hindi Chidiya Notes | चिड़ि‍या पाठ का व्‍याख्‍या

यहां NCERT कक्षा 8 के हिन्‍दी के दूर्वा भाग 3 के पाठ 2 चिड़ि‍या के व्‍याख्‍या को पढ़ने जा रहे हैंं, जिसके लेखक कुवर भीष्‍म साहनी है। Class 8 Hindi Chidiya Notes

पाठ 2
चिड़ि‍या

घर में हम तीन ही आदमी रहते हैं। मैं पिताजी और मैं, लेकिन पिताजी कहते हैं कि घर सराय बना हुआ है यानि कि यात्रियों के कुछ समय रुकने के लिए जगह मतलब मुसाफिरखाना बना हुआ है। ऐसा लगता है जैसे हम तो यहाँ मेहमान हैं घर का मालिक तो कोई दूसरा ही है।
हमारे आँगन में आम का पेड़ है जहाँ कई तरह की चिड़िया रहती हैं। चिड़िया पहाड़ियों और घाटियों से उड़ता हुआ दिल्ली पहुँचता है और सीधा हमारे घर में आ जाता है। और पिताजी कहते हैं जैसे कि इन चिड़ियों को पहले से ही हमारे घर का पता मालूम है। यहाँ तो और भी कइ तरह के गौरैया यहाँ शोर मचाती है ऐसा लगता है कानों के पर्दे फट जाएँगे। लेकिन लोग कहते हैं कि पंक्षी गा रहे हैं।
घर के अंदर भी यहीं हाल है कितने सारे चूहे भी रहते हैं। रात भर एक कमरे से दूसरे कमरे में उछलते रहते हैं इसलिए हम लोग सो भी नहीं पाते बरतन गिरते रहते हैं, डब्बे खुलते हैं, प्याले भी टूटते हैं। एक चूहा तो आग रखने वाली बरतन यानी की अंगुठी के पीछे बैठा है ऐसा लगता है उसे सर्दी लग रही है, क्योंकि वह शायद बुढ़ा हो गया है। एक चूहा तो बाथरूम की टंकी पर बैठा है शायद उसे गर्मी लग रही है और बिल्‍ली तो हमारे घर में रहती नहीं है, मगर ऐसा लगता है कि घर उसको भी बहुत पसंद है। वह घर में आती नहीं है लेकिन बाहर से ही झाँक कर चली जाती है। कभी.कभी मन में आता है तो घर की दूध पी जाती है और मन में नहीं आता तो बाहर से ही देख कर चली जाती है। और शाम होते ही तो चमगादड़ों की भीड़ लग जाती है। कमरों में इस पार से उस पार पंख फैलाकर कसरत करने लगती हैं। यहाँ कबूतर भी हैं। वो दिन भर गुटर-गू गुटर-गू का गाना गाते रहते हैं। और घर में छिपकलियाँ भी हैं। चिंटिया भी तो अपनी फौज के साथ यहाँ रहा करती है। Class 8 Hindi Chidiya Notes
एक दिन दो गौरैया सीधे हमारे घर के अंदर घुसी चली आई, बिना पूछे उड़ उड़ कर हमारे पुरे घर के चारो तरफ से देखने लगी । पिताजी कहने लगे कि मकान का निरीक्षण कर रही है उनके रहने के लायक घर है कि नहीं। कभी वह रोशनदान पर जाकर बैठती है तो कभी खिड़की पर। फिर वह जैसे आयी थी वैसे ही वापस चली गई । और 2 दिन के बाद हमारे घर आई । तो हमने देखा कि कमरे की छत में लगे पंखे के ऊपर दोनों मजे से बैठ कर गाना गा रही है। यह जाहिर सी बात है कि उन्हें घर पसंद आ गया है ।
घर में बैठ कर मैं और पिताजी उन चिड़ियों को देखे जा रहे हैं । मैं कहता हूँ अब यह तो नहीं जाने वाले इन्होन अपना घोंसला यहीं पर बना लिया है !
इस पर पिताजी झट से उठकर खड़े हुए । वाह कहते हैं, मैं भी देखता हूँ कि कैसे नहीं जाते हैं ।
मैं तो इसे यहाँ से बाहर निकाल कर ही छोड़ूँगा । माँ कहती है छोड़ो जी चूहों को तो निकाल नहीं पाए, अब चिड़ियों को निकालोगे माँ ने व्यंग होके कहा । और माँ जो बात व्यंग होकर कहे तो पिता जी को गुस्सा आ जाता है। वह समझते हैं कि माँ उनका मज़ाक उड़ा रही है, वह तुरतं खड़े हो गये और पंखे के नीचे जाकर जोर.जोर से ताली बजाई और चिड़ियों को बाहर निकालने के लिए कसरत में लग गए ।
गौरैया ने घोंसला में से सर निकलकर देखा और दोनों एक-दूसरे के साथ मिलकर ची-ची करने लगे । और माँ खिलखिलाकर हँस रही थी । पिताजी को उछलता कूदता देखकर चिड़िया भी चीची कर रही है, उन्हें भी अच्छा लग रहा है ऐसा लग रहा था कि यह उछल-उछल के ये नाच क्यों रहा है । यही सब देखकर माँ को हँसी आ रही थी । माँ, पिताजी को मनाती है कि रहने दीजिए जी ये अब नहीं जाएँगे इन्‍होंने तो अब घोंसले में अंडे भी दे दिए होंगे ।

तो पिताजी गुस्से में बोलते हैं निकलेगी कैसे नहीं, पिताजी और लाठी उठा ले आए और उन्होने लाठी ऊँची उठाकर पंखे की गोले को ठोकने लगे । चिड़िया ची-ची करती फिर दोनों गौरैया उड़ कर पर्दे के डंटे पर जा बैठी ।

माँ कहती है इतनी तकलीफ की क्या जरूरत थी पंखे को चला दिया होता तो वह खुद-ब-खुद उड़ कर चली जाती माँ ने हँसते हुए कहा । पर इतना करने पर भी पिताजी नहीं माने और लाठी को उठाई और चिड़ियों पर हमला बोल दिया ।
एक बार तो लाठी माँ के सिर पर लगने से भी बच गई । चिड़िया कभी दूसरे पंखे पर बैठती तो कभी कहीं और जाकर बैठती लेकिन पिता जी फिर भी हार नहीं माने । आखिर में दोनों चिड़िया रसोई के और खुलने वाली दरवाजे से बाहर निकल गए ।
माँ तालिया बजाने लगी और पिता जी लाठी को रख कर छाती फेलाते हुए कुर्सी पर आकार बैठ गए । पिताजी कहते हैं आज दरवाजे को बंद रखो एक दिन घर में नहीं घुस पाएगी तो खुद ही घर में आना छोड़ देगी । तभी पंखा के ऊपर से ची-ची की आवाज सुनाई देती है और माँ फिर हँसने लगती है ।
पिताजी सर उठाकर देखते हैं तो दोनों गौरैया फिर से अपने घोंसले में आ चुकी होती है । माँ बोलती है दरवाजे के नीचे से आ गई है शायद, तो पिताजी जब दरवाजे के नीचे देखते हैं तो सच में दरवाजे के नीचे थोड़ी सी जगह खाली थी ।
पिताजी को फिर गुस्सा आ गया और वह गौरैया पर पिलपिला उठते हैं । वो दरवाजे के नीचे कपड़े ठुस देते हैं । और फिर लाठी उठाकर चिड़ियों पर हमला बोल देते हैं । थोड़ी ही देर बाद फिर चिड़‍िया वापस कमरे में आ जाती है । Class 8 Hindi Chidiya Notes
अबकी बार गौरैया रोशनदान में से आई थी, जिसका एक शीश टूटा हुआ था । माँ गंभीरता से बोलती है देखो जी चिड़ियों को बाहर मत निकालो उन्होने तो अंडे भी दे दिए होंगे । अब यहाँ से नहीं जाएगी पिताजी बोलते हैं, यहाँ से कैसे नहीं जाएगी मैं तो इन्हें बाहर निकालकर ही छोड़ूँगा ।
और फिर पिताजी रोशन दान में भी कपड़ा ठुस देते हैं । और लाठी उठाकर चिड़ियों को भगाने लगते हैं । दोनों आँगन की दीवार पर जाकर बैठ जाती है । इतनी में रात हो जाती है और हम खाना खाकर ऊपर जाकर सो गए । जाने से पहले देखते हैं तो चिड़िया वहाँ पर नहीं रहती है और वह समझ जाते हैं कि चलो हर मानकर चिड़िया चली गई होगी लेकिन दूसरे दिन जब वाह देखते हैं तो चिड़िया फिर वापस आ गई होती है ।
तो पिताजी चिड़ियों को वापस भगा देते हैं । रोज- रोज का यहीं होने लगा तो पिताजी परेशान हो जाते हैं । आखिर में पिताजी कहते हैं मैं हर मानने वालों में से नहीं हूँ लेकिन वह तंग आ ही गए थे वह कहने लगे कि मैं इनका घोंसला नोच कर फेंक दूँगा और उन्होनें स्टूल लेकर आया और घोंसले को तोड़ दिया
लेकिन कुछ तिनके वहा उपर रह गए । वह कहने लगें कि अगर किसी को सच में घर से बाहर निकालना हो तो उनका घर तोड़ ही देना चाहिए । घोंसलों में से अनेक तीनके बाहर निकल कर लटक रहे थे । Class 8 Hindi Chidiya Notes
पिताजी ने खींच कर फेंक दिया घोंसले अलग हो गए घोंसला टूट के बिखर गए तब भी ची-ची की आवाज सुनाई दी पिता जी के हाथ ठिठक गए । वह कहते हैं क्या गौरैया फिर वापस लौट आई क्या? उन्होने देखा तो दोनों गौरैया बाहर दीवार पर चुपचप गुमशुदा बैठी हुई थी । घोंसले के कुछ टुकड़े जो अभी भी पंखे पर लटके हुए थे उसमें से दो नन्ही नन्हीं चिड़िया ऊपर से झांकी जा रही थी और ची-ची की आवाज लगाई जा रही थी ।
मनो जैसे वह अपने माँ-बाप को ढूँढ रही हो । पिताजी ये सब देखकर चुपचाप आकर कुर्सी पर बैठ जाते हैं । चिड़‍िया ची-ची की आवाज सुनकर झट से बाहर डाल से उड़ कर अंदर आ जाती है । और अपने बच्चों से जा मिलती है । नन्‍ही-नन्‍ही चोंच में चुग्गा डालने लगती है । माँ, पिताजी और मैं उनकी और देखते रह गए । घर में फिर से शोर होने लगे पर इस बार पिताजी उनको देखकर केवल मुस्कुरा रहे थे । Class 8 Hindi Chidiya Notes

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