Class 8 Hindi Chitthiyon mein europe Notes | चिट्ठियों में यूरोप पाठ का व्‍याख्‍या

यहां NCERT कक्षा 8 के हिन्‍दी के दूर्वा भाग 3 के पाठ 3 चिट्ठियों में यूरोप के व्‍याख्‍या काे पढ़ने जा रहे हैंं, जिसके लेखक सोमदत्त जी है। Class 8 Hindi Chitthiyon mein europe Notes

पाठ-3
चिट्ठियों में यूरोप

इस कहानी में यूरोप के बारे में बताया गया है इस क‍हानी के लेखक सोमदत्त जी हैं । उनको एक पत्र लिखा है जो अपने बच्चों और अपनी पत्नी के लिए है । जिसमें उन्होंने ये बताया है कि यूरोप किस तरह का देश है । वहाँ का खान-पान क्या है वहाँ की नदियाँ कैसी हैं । वहाँ के लोग कैसे हैं इन सभी के बारे में उन्होन चिट्ठी में बताया है ।

22 मार्च 89
यूगोस्‍लाविया नेविशाद

प्रिय नीलू, शेरू, ककू, पुत्रक और तुम सब की मम्मी
तुम सबको खूब प्यार ।

लेखक जी कहते हैं आज उन्हें यूरोप पहुँचे हुए एक हफता हो गया है । वे कहते हैं कि यहाँ का मौसम बहुत अच्छा चल रहा है । यहाँ बसंत आ रहा है इसलि‍ए सारे पेड़ नंगे खड़े हैं । यानी कि झड़ गये हैं, उनके कहने का मतलब यह है कि बसंत से पहले पत्‍झड़ का मौसम आता है और पतझड़ के मौसम में पेड़ के सारे पत्ते झड़ जाते है इसलिए उन्‍होंने ये कहा है कि सारे पेड़ नंगे खड़े हैं । और वाह कहते हैं एक अपनी विद्या जैसी पेड़ है जो हारा है । यानी उसमें पत्ते लगे हुए हैं एक और जो नए साल पर घर-घर लगाया जाता है उसमें भी फूल आ रहे हैं । उसमें यहाँ पर नीले और बैगानी रंग का फूल है जो कि अपने यहाँ सफेद कुमुदिनी जैसी होती हैं । यहाँ पर कुछ फूल लाल और पीले भी होते हैं जिसमें खुशबू नहीं होती है । वह कहते हैं आज का दिन यहाँ इतवार है हम 1:00 बजे खाना खाकर आए और फिर चिट्ठी लिखने बैठ गए । उन्होंने आज का खाना वो योगर्ट  दही जैसा कुछ सामान से शुरू किया था जैसा आइसक्रीम कप होता है वैसे ही कप में । रोज सूप होता है । उसमें सफेद सेम जैसी यहाँ की बिन और लंबी पतली होती है । बरबटी मतलब एक लंबी फली जैसी । फिर आइसक्रीम । वाह कहते हैं यहीं तीन खाना वह रोज सुबह शाम खाया करते हैं जो कि वह खा-खाकर उकता चुके हैं । वह कहते हैं कभी-कभी यहाँ चावल भी मिलता है स्टीव यानी कड़ी के साथ खाने के लिए । वह कहते हैं एक दिन खड़ा सेका हुआ चिल्‍ले जैसी एक मिठाई उन्हें खाने में मिलती है जो कि खट्टी बेरी का गुदा भरा था । यहाँ की सेवइयाँ पानी में उबली सुप में रहती है । यानी जो सेवइयाँ गाँव में हम लोग दूध के साथ खाते हैं वही सेवइयाँ यहाँ पानी में उबालकर सुप की तरह खाया जाता है । और  ब्रेड । सुबह ब्रेड बटर जेली के साथ या शहद के साथ खाते हैं । जो 30 ग्राम की छोटी प्लास्टिक डिबियों में उन्हें मिलती है ।
वह कहते हैं शहर के बीच दूना नदी बहती है जो कि यूरोप के कई देश में बहती है । उसे हम नक्शे में देखेंगे तो मिल जाएगी और नोविशाद शहर भी मिल जाएगा । लेखक कहते हैं कि वह अपने बच्चों और उसकी मम्मी के लिए इटली के कुछ सिक्के भी रखी है । इंडोनेशिया का मॉरीशस की कुछ टिकटें भी इकट्ठे की हैं, यहाँ किसी भी तरह कि चीजें बहुत महंगी है, इसलिए लोग कहते हैं, मत खरीदो । लेकिन फिर भी मैं रोज बाजार जाता हूँ, तो तुम लोगों की याद आ जाती है। खेलते हुए बच्चों को देखकर । लेखक कहते हैं यहाँ जो नदी है उसमें बड़े-बड़े यात्री जहाज चलाते हैं और इस देश के भी और हंगरी के भी । लेखक कहते हैं कि कल हमने देखा है कि यहाँ के लोग फुटबॉल बहुत खेलते हैं । 14 से 20 अप्रैल तक यहाँ विश्व टेबल टेनिस चैंपियन होने वाली है । हम भी एक दो दिन देखेंगें । लेखक कहते है कि  यहाँ 20-20 मंजिल 10-10 मंजिल की बिल्‍डिंग हैं । यहाँ इस शहर में हजारों साल पहले आए हमारे भारतीय लोग हैं । जिनकी यहाँ संतान है, जो यहाँ इतने सालों से रह कर वाह यूरोपी मालूम होते हैं । देखने से ऐसा लगता है कि वह यूरोपी ही हैं । उनकी वेशभूषा-भाषा रहने का ढ़ंग सबकुछ यूरोपीय ही हैं । यहाँ के लड़के तो स्केटिंग के बहुत शौकीन हैं । यहाँ मेरे कमरे की खिड़की से खेल के मैदान सीधा दिखता है । वह कहते हैं इस समय एक मैदान में फुटबॉल मैच हो रहा है, एक टीम की कपड़ें सफेद रंग की है तो दूसरे की लाल । मैदान मेरे कमरे से कुछ दूरी पर है जो कि हमारा कमरा पाँचवी मंजिल पर है इसलिए पूरा अच्छी तरह से दिखता है । हमारी कमरे खिड़की के बराबर ऊँची और चौड़ी है । अब हम लोग 17 देश माल्टा, मॉरीशस, मेक्सिको, बोलीविया, नाइजीरिया, माली, अंगोला, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, इजिप्‍ट, जॉर्डन, इंडोनेशिया, भारत, चीन, कोरिया, थाईलैंड । नेपाल का एक लड़का है टंक प्रसाद ढ़काल। कल हम लोग शहर से बहार की एक पोल्ट्री फार्म देखने जाएँगें । यूनिवर्सिटी की बस से ।
कल दोपहर हमने शादी की एक पार्टी के साथ घर जा रही एक दुल्हन को भी देखी जो कि हमारी खिड़की से दिख रही थी वह दुल्हन सफेद कपड़े पहने हुए थी। और वह अपना सर सफेद टोपी की जैसी भी कुछ पहनी हुई थी । वहाँ पर बहुत सारे लोग थे । फिर लेखक कहते हैं अच्छा ठीक है चलो आगे का हाल बात की चिट्ठी में लिखेंगें । तुमलोग भी अपने वहाँ के गौतम से एरोग्राम मंगा कर हम‍का चिट्ठी लिखना । तुम सबको मेरा हमारा बहुत सारा प्‍यार । और अच्‍छे से रहना ताकि माँ को तकलिफ न हो ।  

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